कुशीनगर से ज्ञानेश्वर बरनवाल की रिपोर्ट
कुशीनगर जिले में बीते 30 घंटे से जारी एक नवजात की खोज ने पूरे प्रशासन, मीडिया और जनता को बेचैन कर रखा था। मेडिकल कॉलेज के SNCU वार्ड से लापता हुआ नवजात आखिरकार गुरुवार देर शाम सकुशल बरामद कर लिया गया। DM–SP की सतर्कता, पुलिस टीमों की तेजी और गांव के प्रधान की सूझबूझ ने एक परिवार को राहत की सांस दी।
लेकिन इस सफलता के बावजूद मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा व्यवस्था की पोल बुरी तरह खुल गई है।

मामले की शुरुआत – अस्पताल की लापरवाही का डरावना उदाहरण
नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के रहने वाले प्रदीप कुमार की पत्नी रीना को मंगलवार शाम मेडिकल कॉलेज के MCH विंग में भर्ती कराया गया था। रात 5:40 बजे बेटे का जन्म हुआ और डॉक्टरों ने नवजात को सुबह 6:45 बजे SNCU वार्ड में शिफ्ट कर दिया।
परिजनों को बताया गया कि बच्चे को निगरानी में रखा गया है, लेकिन सुबह 9 बजे से 12 बजे तक किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई। तीन घंटे की इस रहस्यमयी बंदिश के बाद जब वार्ड का दरवाज़ा खुला तो बच्चे का कोई अता-पता नहीं था। अस्पताल परिसर में हड़कंप मच गया।
प्रशासन की सक्रियता – DM और SP ने बनाई कई टीमें
घटना की जानकारी मिलते ही DM कुशीनगर और SP ने तत्काल कई टीमों का गठन किया। पुलिस ने पूरे जिले में अलर्ट जारी कर दिया।
नवजात की तस्वीर और विवरण सभी थानों, अस्पतालों, एम्बुलेंस कर्मियों और ग्राम प्रधानों तक पहुंचाया गया।
हर कोने पर चेकिंग शुरू हुई। सोशल मीडिया पर भी नवजात की तस्वीरें वायरल की गईं। परिजन और पुलिस पूरी रात बच्चे की खोज में जुटे रहे।
गांव के प्रधान की सूझबूझ से मिली बड़ी सफलता
गुरुवार शाम पडरौना कोतवाली क्षेत्र के मनिकौरा गांव से एक राहत भरी खबर आई।
गांव के प्रधान नंदलाल साहनी ने पुलिस को सूचना दी कि उनके गांव में एक महिला के घर अचानक एक नवजात दिखाई दिया है।
सूचना मिलते ही पुलिस की SWAT टीम और जटहां बाजार थाने के एसओ मौके पर पहुंचे। घर की तलाशी ली गई और उसी नवजात को सकुशल बरामद किया गया।
प्रदीप कुमार और उनके परिजनों को जैसे ही बच्चे के मिलने की खबर मिली, घर में खुशी का माहौल लौट आया।
महिला अर्धविक्षिप्त निकली, CCTV ने खोले कई राज़
पुलिस जांच में सामने आया कि बच्चे को ले जाने वाली महिला अर्धविक्षिप्त है। बच्चे के बरामद होते ही वह मौके से फरार हो गई।
SP कुशीनगर ने बताया कि महिला CCTV फुटेज में दिखाई दे रही है और उसकी तलाश जारी है।
लेकिन जांच के दौरान चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि SNCU वार्ड सहित कई CCTV कैमरे बंद पड़े थे।
इतना ही नहीं, अस्पताल में मौजूद गार्ड और सुरक्षा कर्मियों ने भी उस वक्त किसी संदिग्ध के आने-जाने की जानकारी नहीं दी।
जहाँ 24 घंटे सुरक्षा व्यवस्था रहती है, वहाँ एक महिला का वार्ड तक पहुंच जाना सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी नाकामी है।
अस्पताल में पहले भी हो चुके हैं सुरक्षा से जुड़े मामले
यह कोई पहली बार नहीं है जब कुशीनगर मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा पर सवाल उठे हों।
पहले भी यहाँ बाइक चोरी, दलालों की सक्रियता और मरीजों से मनमानी वसूली जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
लेकिन एक नवजात का गायब होना अब तक का सबसे गंभीर मामला माना जा रहा है।
प्रशासन ने इस बार स्पष्ट संकेत दिया है कि अस्पताल प्रशासन की लापरवाही को बख्शा नहीं जाएगा।
परिजनों ने जताया आभार, मां की आंखों में फिर लौटी मुस्कान
बरामदगी के बाद नवजात को परिवार के घर लाया गया, जहाँ पिता प्रदीप कुमार ने बच्चे की पहचान की और भावुक होकर कहा—
“सौ प्रतिशत वही हमारा बच्चा है। हमें DM–SP और पुलिस की टीमों का आभार है जिन्होंने 30 घंटे में हमारा बच्चा लौटा दिया।”
प्रदीप कुमार, नवजात के पिता
“प्रशासन ने बहुत मेहनत की, हम इसके आभारी हैं। लेकिन मेडिकल कॉलेज की लापरवाही ने हमें जो पीड़ा दी है, वह भुलाना मुश्किल है।
कैमरे बंद क्यों थे? गेट पासिंग सिस्टम क्यों फेल हुआ? ऐसे सवालों के जवाब ज़रूरी हैं, ताकि आगे कोई और परिवार ऐसी तकलीफ़ न झेले।”अंतिम सवाल – सुरक्षा व्यवस्था पर जवाबदेही कब?
भले ही प्रशासन ने तेजी दिखाकर बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया हो,
लेकिन यह घटना अस्पताल की सुरक्षा प्रणाली पर गंभीर सवाल छोड़ गई है।
अगर समय रहते गांव के प्रधान ने सूचना न दी होती, तो न जाने क्या अंजाम होता।
अब ज़रूरत है कि अस्पताल प्रशासन इस घटना से सबक लेकर अपनी सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा करे,
ताकि भविष्य में किसी और मां की गोद खाली न हो।
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal