कानपुर जिला कारागार में बंद गबन के आरोपी कैदी रूप नारायण यादव की इलाज के दौरान मौत हो जाने से मामला तूल पकड़ गया है। परिजनों ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि समय पर इलाज न मिलने के कारण रूप नारायण की जान गई है। घटना के बाद परिजनों में गहरा रोष है और उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।

जानकारी के मुताबिक, रूप नारायण यादव को गबन के एक मामले में अक्टूबर 2024 में गिरफ्तार कर जिला कारागार भेजा गया था। मामला वर्तमान में ट्रायल कोर्ट में लंबित था। इसी बीच 21 नवंबर 2025 को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। इसके बाद जेल प्रशासन ने उन्हें कानपुर के हैलट अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ दो दिनों तक इलाज चलने के बाद 23 नवंबर को उनकी मौत हो गई।
परिजनों का कहना है कि रूप नारायण पिछले कई दिनों से अस्वस्थ थे, लेकिन जेल प्रशासन ने लापरवाही बरतते हुए उनकी स्थिति को नजरअंदाज कर दिया। उनका आरोप है कि यदि समय रहते उचित इलाज मिलता, तो रूप नारायण की जान बच सकती थी। परिजन यह भी आरोप लगा रहे हैं कि जेल में उन्हें समय पर दवाइयाँ और प्राथमिक चिकित्सकीय सुविधा नहीं दी गई।
दूसरी ओर, जेल अधीक्षक डॉ. बी.डी. पांडेय ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया है। उनका कहना है कि जैसे ही कैदी की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिली, तत्परता से उसे अस्पताल भेजा गया और पूर्ण चिकित्सा सुविधा प्रदान की गई। अधीक्षक ने दावा किया कि जेल प्रशासन ने मानक प्रक्रिया के अनुसार अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाई है।
कैदी की मौत के बाद अस्पताल और जेल प्रशासन दोनों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। इस तरह की घटनाओं ने जेलों में स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर गंभीर चिंताएँ खड़ी कर दी हैं। कई सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले को लेकर आवाज उठाई है और विस्तृत जांच की मांग की है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जेलों में अक्सर कैदियों को उचित उपचार नहीं मिलता, जिससे कई बार गंभीर परिणाम सामने आते हैं। वहीं परिजनों ने मामले को उच्चाधिकारियों तक ले जाने की बात कही है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मौत की जांच कैसे करता है और क्या परिजनों के आरोपों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है। फिलहाल घटना ने जेल प्रशासन की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं, जिसका जवाब जनता और परिजन दोनों ही इंतजार कर रहे हैं।
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