उरई एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। इस बार वजह बने हैं — मोनू पंडित।
मोनू पंडित, जो हमेशा अपने मानवतावादी कार्यों और गौसेवा के प्रति समर्पण के लिए जाने जाते हैं, एक बार फिर सुर्खियों में हैं।

दरअसल, शहर की पीली कोठी के पास घायल गौ माता को देखकर उनका दिल पसीज गया। लोगों की भीड़ के बीच जब कोई मदद के लिए आगे नहीं आया, तो मोनू पंडित ने खुद आगे बढ़कर गाय की पट्टी की, उसे पानी पिलाया और रोजाना सेवा करने का संकल्प लिया।
उनके इस मानवीय कार्य का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोग उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं। कई लोग इसे “सच्ची गौभक्ति का उदाहरण” बता रहे हैं।
लेकिन इस घटना के साथ ही जिले की गौशालाओं और जिम्मेदार अधिकारियों की पोल भी खुल गई है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी फंड का दुरुपयोग, गायों की उचित देखभाल न होना और पत्रकारों पर दबाव डालने जैसी घटनाएं अब आम हो चुकी हैं।
गौसेवा के नाम पर चल रही अनियमितताएं अब खुलकर सामने आने लगी हैं।
मोनू पंडित ने कहा कि “गौ माता की सेवा हमारा धर्म है, पर अगर सरकार और अधिकारी इसमें लापरवाही बरतें तो यह सबसे बड़ा पाप है।”
उनका यह बयान प्रशासन के कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
हिंदूवादी संगठनों में सक्रिय भूमिका निभा चुके मोनू पंडित हमेशा ही सामाजिक कार्यों, धार्मिक आयोजनों और गौसंरक्षण के लिए जाने जाते हैं।
उनके समर्थक कहते हैं कि वह केवल बोलते नहीं, बल्कि खुद उदाहरण पेश करते हैं।
फिलहाल, यह खबर शहर में जबरदस्त चर्चा का विषय बनी हुई है।
लोग सवाल उठा रहे हैं — जब एक आम नागरिक घायल गाय की सेवा के लिए आगे आ सकता है, तो फिर जिम्मेदार अधिकारी क्यों नहीं?
उरई में गौसेवा बनाम भ्रष्टाचार की यह कहानी अब प्रशासन की नींद उड़ा रही है।
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