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जालौन में खनन माफियाओं का राज! NGT नियमों की खुली धज्जियां, HindNews की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट ????

 सरकार की खनन नीति की उड़ी धज्जियां 

रिपोर्ट : हरिमाधव मिश्र
जनपद : जालौन


जालौन में उत्तर प्रदेश सरकार की खनन नीति को खनन माफिया खुलेआम चुनौती देते नज़र आ रहे हैं। माननीय सर्वोच्च न्यायालय और NGT के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद प्रतिबंधित हैवी मशीनों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है। नदी की जलधारा तक को नहीं छोड़ा गया है और वहां से भी अवैध खनन कर भारी मुनाफा कमाने का काला कारोबार जारी है। hind न्यूज़ की कैमरे में इस अवैध खनन का काला सच एक्सक्लूसिव रूप से कैद हुआ है।

पूरा मामला जालौन जिले की कालपी तहसील में स्थित चिरपुरा खदान खंड संख्या–2 का है, जहाँ अवैध खनन का खेल अपने चरम पर पहुँच चुका है। जानकारी के मुताबिक यहां रात–दिन लगातार 6 से 8 बड़े लिफ्टर और प्रतिबंधित हेवी मशीनें लगाकर खनन कराया जा रहा है। मशीनों की आवाज़, रातभर दौड़ते ट्रकों की कतारें और नदी की धारा तक खिंची लंबी पटरियों से यह साफ़ दिखता है कि खनन माफियाओं का नेटवर्क बेहद संगठित और बेखौफ है।

hind न्यूज़ की टीम जब मौके पर पहुंची, तो उसने देखा कि नदी की जलधारा से सीधे खनन किया जा रहा है, जबकि NGT ने अपने आदेश में साफ़ कहा है कि नदी की मुख्य धारा से खनन सख्त प्रतिबंधित है। इतना ही नहीं —

  • नदी में 3 मीटर से अधिक गहराई तक खुदाई नहीं की जा सकती,

  • जेसीबी का उपयोग सिर्फ लोडिंग–अनलोडिंग तक सीमित है,

  • मशीनों की सहायता से नदी के प्राकृतिक प्रवाह में बदलाव पूरी तरह अवैध है।

लेकिन चिरपुरा खदान में इन सभी नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ती नजर आईं। घटनास्थल पर ट्रकों की कतारें लंबी दूरी तक खड़ी थीं, जिनमें अवैध खनन की रेत को तेजी से भरकर भेजा जा रहा था। लोडरों और मशीनों की आवाज़ से पूरा इलाका देर रात तक गूंजता रहता है। यह सब कुछ स्थानीय स्तर पर मजबूत संरक्षण मिलने की ओर भी संकेत करता है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि अवैध खनन के कारण नदी की दिशा बदल रही है, किनारों का कटान तेजी से बढ़ गया है और आसपास के खेतों में भी भूगर्भीय क्षरण होने लगा है। कई जगहों पर पानी का स्तर अचानक कम होने की शिकायतें भी सामने आई हैं।

hind न्यूज़ की टीम द्वारा रिकॉर्ड किए गए वीडियो में नदी की धारा में चल रही हैवी मशीनें, रेत से भरे ट्रकों की कतारें, और गहरी खुदाई के स्पष्ट चित्र देखे जा सकते हैं। यह सब कुछ प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर किया जा रहा है, जिससे यह सवाल उठता है कि आखिर इतना बड़ा खेल बिना संरक्षण के कैसे चल सकता है?

अब बड़ा प्रश्न यह है कि इस एक्सक्लूसिव रिपोर्ट के बाद जिला प्रशासन और खनन विभाग क्या कार्रवाई करेगा?
क्या दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी?
क्या नदी को नुकसान पहुंचाने का यह अवैध खेल रोका जाएगा?

फिलहाल जनता और स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों की निगाहें प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।

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