ग़ाज़ीपुर (उत्तर प्रदेश)।
पूरा पूर्वांचल इस वक्त बेमौसम बारिश की चपेट में है। प्रांत में उठे मोथा तूफ़ान का असर ग़ाज़ीपुर ज़िले में भी साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है। लगातार हो रही बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है — खेतों में लगी सब्ज़ियां, दलहन, तिलहन और धान की फसलें जलमग्न हो चुकी हैं। हालात ऐसे हैं कि किसानों की मेहनत अब बर्बादी की कगार पर पहुंच गई है।
ग़ाज़ीपुर जिले के कई गाँवों में किसानों की आंखों में चिंता साफ़ झलक रही है। खेतों में पानी भर गया है और लगातार हो रही बारिश ने कटाई की तैयारी में जुटे किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। स्थानीय किसानों का कहना है कि धान की फसल लगभग तैयार थी, लेकिन अचानक हुई बेमौसम बारिश ने पूरा गणित बिगाड़ दिया। फसलें झुक गई हैं, कई जगह पौधे सड़ने लगे हैं।
तीन दिनों से जारी बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें
पिछले तीन दिनों से ग़ाज़ीपुर समेत पूरे ज़िले में लगातार बारिश हो रही है। निचले इलाकों में जलभराव की स्थिति बन गई है, जिससे खेतों तक पहुँचना मुश्किल हो गया है। किसान ही नहीं, आम जनमानस और पशुपालक भी परेशान हैं। लगातार ठंडी हवाओं और बारिश से सिहरन बढ़ गई है। लोग अब गर्म कपड़ों और रेनकोट का सहारा ले रहे हैं।
किसानों का कहना है कि अगर बारिश यूँ ही जारी रही तो खेतों में बची हुई फसलें भी पूरी तरह नष्ट हो जाएंगी। उन्होंने सरकार से नुकसान की भरपाई के लिए तत्काल सर्वे और मुआवज़े की माँग की है।
सरकार से बड़ी उम्मीदें
ग़ाज़ीपुर के किसानों का कहना है कि उन्होंने साल भर की मेहनत इस उम्मीद में की थी कि अच्छी पैदावार से परिवार का गुजर-बसर हो सकेगा, लेकिन अब सारी मेहनत पर पानी फिरता दिख रहा है। किसानों को उम्मीद है कि सरकार स्थिति का संज्ञान लेकर राहत पैकेज और सहायता राशि जल्द जारी करेगी।
स्थानीय किसान मुन्ना तिवारी का कहना है, “धान की फसल पूरी तरह से तैयार थी, बस कटाई शुरू होने वाली थी, लेकिन बारिश ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। अब सरकार से ही उम्मीद है कि कुछ मदद मिले।”
वहीं, राकेश पांडे, जो खुद एक छोटे किसान हैं, बताते हैं, “तीन दिन से खेत में पानी भरा है, फसल गल रही है। अब अगर प्रशासन ने सर्वे नहीं कराया तो हमारी मेहनत व्यर्थ जाएगी।”
प्रशासन पर निगाहें टिकीं
किसानों की निगाहें अब पूरी तरह जिला प्रशासन और राज्य सरकार पर टिकी हैं। ज़िले के कई किसान संगठन भी सरकार से फसल नुकसान का मुआवज़ा देने और विशेष राहत शिविर लगाने की मांग कर रहे हैं।
अगर बारिश का सिलसिला नहीं थमा तो ग़ाज़ीपुर में कृषि संकट और गहरा सकता है — और ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है:
“आख़िरकार कौन होगा किसानों का सच्चा मददगार?”
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