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कन्नौज में सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल — सौ शैय्या अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी किल्लत, मरीजों के परिजनों को खुद खरीदने पड़े सिलेंडर

कन्नौज, उत्तर प्रदेश —
सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं पर एक बार फिर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। जिले के छिबरामऊ क्षेत्र स्थित नगला दिलू में बने सौ शैय्या अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की भारी कमी के चलते मरीजों के तीमारदारों को खुद बाजार से सिलेंडर खरीदने पड़े। सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो भी सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर कर दिया है।

मरीज के परिजन ने बताया कि जब उन्होंने चिकित्सा अधिकारी से अस्पताल में ऑक्सीजन की व्यवस्था के बारे में पूछा, तो उन्हें साफ कहा गया कि फिलहाल ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। मरीज की हालत बिगड़ने पर परिजनों को मजबूरन बाहर से ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदकर लाना पड़ा। यह स्थिति तब है जब अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट पहले से मौजूद है।

स्थानीय लोगों और तीमारदारों ने सवाल उठाया है कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित है और सिलेंडरों की व्यवस्था भी कागज़ों में दर्ज है, तो फिर मरीजों को ऑक्सीजन के लिए निजी व्यवस्था क्यों करनी पड़ रही है? यह घटना न केवल स्थानीय प्रशासन बल्कि पूरे स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री (स्वास्थ्य मंत्री) बृजेश पाठक लगातार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने और लापरवाही पर सख्त कार्रवाई के निर्देश देते रहे हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर हालात अब भी जस के तस हैं। लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की कीमत आम मरीजों को अपनी जान जोखिम में डालकर चुकानी पड़ रही है।

इस मामले पर जब अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. संतोष मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, “अस्पताल में फिलहाल ऑक्सीजन सिलेंडरों की सप्लाई में रुकावट आई है। हमने उच्च अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी है और ऑक्सीजन प्लांट की मरम्मत व सप्लाई बहाली के लिए डिमांड भेजी गई है। जल्द ही समस्या का समाधान होगा।”

फिलहाल अस्पताल प्रशासन के दावों और जमीनी सच्चाई में बड़ा अंतर दिखाई दे रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद अब जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की भूमिका पर भी निगाहें टिक गई हैं। लोगों को उम्मीद है कि उच्च स्तर से जल्द कार्रवाई की जाएगी, ताकि भविष्य में किसी भी मरीज को ऐसी तकलीफ़ का सामना न करना पड़े।

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