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मुरादाबाद: 22 सप्ताह की दुष्कर्म पीड़िता गर्भपात कराने से पहले सरकारी अस्पताल से गायब, स्वास्थ्य विभाग और डॉक्टरों में हड़कंप

मुरादाबाद में एक 22 सप्ताह की गर्भवती दुष्कर्म पीड़िता महिला सरकारी अस्पताल से बिना गर्भपात कराए अचानक गायब हो गई। यह घटना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और अस्पताल के डॉक्टरों के लिए गंभीर चिंता का कारण बन गई है।

जानकारी के अनुसार, पीड़िता ने करीब एक माह पहले मुगलपुरा क्षेत्र में रहने वाले युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। इस घटना के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई। अनचाहा गर्भ गिराने के लिए उसने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उस समय वह 18 सप्ताह तीन दिन की गर्भवती थी।

कोर्ट के आदेश के बाद 17 अक्टूबर को सीएमओ के निर्देश पर गठित मेडिकल बोर्ड ने पीड़िता की उम्र और गर्भ की स्थिति का परीक्षण किया और 19 अक्टूबर को रिपोर्ट अदालत को सौंप दी। इसके बाद न्यायमूर्ति ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) को इस मामले की सुनवाई के लिए शक्तियां निहित की।

21 अक्टूबर को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट में सुनवाई के दौरान पीड़िता को गर्भपात की अनुमति दे दी गई। 22 अक्टूबर को पीड़िता को महिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल में उसे दो स्त्री रोग विशेषज्ञों की निगरानी में रखा गया। इसके अलावा, बोर्ड में एक फिजिशियन, एक एनेस्थेटिस्ट और एक सर्जन को भी शामिल किया गया।

लेकिन 23 अक्टूबर की रात स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सूचना मिली कि पीड़िता अस्पताल से जा चुकी है। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने मामले की रिपोर्ट सीजेएम कोर्ट और पुलिस को सौंप दी। अधिकारियों का कहना है कि पीड़िता ने निजी अस्पताल में गर्भपात कराने के संबंध में कोई लिखित आवेदन या अनुमति नहीं दी थी।

अस्पताल से जाने के बाद भी अधिकारियों ने पीड़िता से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि यदि पीड़िता निजी अस्पताल में गर्भपात करना चाहती है, तो उसके लिए कोर्ट से अनुमति लेना अनिवार्य है।

इस बीच, मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को कोर्ट में होगी। पीड़िता ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से अदालत में प्रार्थनापत्र प्रस्तुत कर निजी अस्पताल में गर्भपात की अनुमति मांगी है। अदालत ने सुनवाई को 27 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया है।

यह घटना मुरादाबाद में स्वास्थ्य विभाग और सरकारी अस्पतालों में निगरानी और सुरक्षा प्रोटोकॉल पर सवाल खड़ा करती है। वहीं, कोर्ट और पुलिस अब इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए तैयार हैं।

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