रायबरेली:
प्रदेश में लगातार बढ़ती महंगाई, खेती की लागत में इजाफा और आवारा पशुओं से हो रहे नुकसान को लेकर किसानों का गुस्सा अब सड़कों पर दिखने लगा है। इन्हीं मुद्दों को लेकर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत गुट) ने शनिवार को रायबरेली में जोरदार प्रदर्शन करते हुए जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 17 सूत्रीय ज्ञापन सौंपा।
किसानों ने ज्ञापन में कहा कि प्रदेश का किसान आज आर्थिक संकट से जूझ रहा है। डीजल, बिजली और खाद के दाम लगातार बढ़ने से खेती घाटे का सौदा बन गई है, जबकि फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। भाकियू टिकैत के नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने किसानों की समस्याओं पर जल्द निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
✳️ किसानों की मुख्य मांगें:
ज्ञापन में रखी गई 17 सूत्रीय मांगों में कुछ प्रमुख बिंदु इस प्रकार हैं —
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एमएसपी को कानूनी दर्जा दिया जाए ताकि किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित मिल सके।
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आवारा पशुओं से फसलों के नुकसान को रोकने के लिए प्रभावी नीति बने और गोशालाओं की व्यवस्था सुधारी जाए।
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फसल बीमा योजना में सुधार कर किसानों को समय पर और पूर्ण मुआवजा मिले।
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छोटे और सीमांत किसानों के कृषि ऋण माफ किए जाएं।
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स्मार्ट मीटर प्रणाली समाप्त कर बिजली दरों में राहत दी जाए।
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कृषि इनपुट (बीज, खाद, उपकरण आदि) पर टैक्स में छूट दी जाए।
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि ₹6,000 से बढ़ाकर ₹12,000 वार्षिक की जाए।
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किसान पेंशन योजना लागू की जाए ताकि वृद्ध किसानों को जीवन-निर्वाह में सहायता मिले।
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किसानों पर दर्ज झूठे मुकदमे वापस लिए जाएं।
🌾 “सरकार ने अगर मांगें नहीं मानी तो होगा बड़ा आंदोलन”
भाकियू टिकैत के जिला पदाधिकारियों ने कहा कि प्रदेश सरकार बार-बार किसानों के हित की बात करती है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर किसानों की समस्याओं में कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि यदि जल्द ही सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो संगठन प्रदेशभर में आंदोलन को और तेज करेगा।
किसानों का कहना है कि सरकार यदि इन मांगों पर शीघ्र निर्णय लेती है, तो न केवल किसान वर्ग आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा मिलेगी।
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