Noida News: नोएडा की फेज-3 थाना पुलिस ने बृहस्पतिवार को एटीएम बूथों पर मदद के नाम पर डेबिट कार्ड बदलकर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह के सरगना समेत चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जो दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में वारदात को अंजाम देने के इरादे से बिहार से आए थे.
Noida News: नोएडा की फेज-3 थाना पुलिस ने बृहस्पतिवार को एटीएम बूथों पर मदद के नाम पर डेबिट कार्ड बदलकर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह के सरगना समेत चार सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जो दिवाली से पहले दिल्ली-एनसीआर में वारदात को अंजाम देने के इरादे से बिहार से आए थे. आरोपी एटीएम बूथ पर काला टेप लगाकर वारदात करते थे.
100 से अधिक वारदात कर चुके हैं
आरोपी अब तक देश के अलग-अलग शहरों में 100 से अधिक वारदातें कर चुके हैं. गिरफ्तार किए गए आरोपियों में पंकज कुमार सिंह, धर्मेंद्र, नवलेश सिंह और गोपाल सिंह शामिल हैं. यह सभी वर्तमान में नोएडा के फेज-2 थाना क्षेत्र के नया गांव में किराए पर रह रहे थे.
कार्ड बदलकर खाते से रकम उड़ाते थे
गिरोह बेहद शातिराना तरीके से काम करता था. एटीएम बूथों पर सीनियर सिटीजन और महिलाओं को निशाना बनाना इनका मुख्य हथियार था. जब ग्राहक मशीन से पैसा निकालने में असफल होता, तो यह लोग मदद का नाटक करते और पासवर्ड देखकर डेबिट कार्ड बदल देते. दूसरे बूथ पर जाकर फर्जी कार्ड से खाते से रकम निकाल लेते थे.
काला टेप लगा देते थे
कई बार गिरोह एटीएम मशीन पर काला टेप लगाकर नोट के बाहर निकलने वाले हिस्से को ब्लॉक कर देता था. ग्राहक को लगता कि पैसा नहीं निकला, लेकिन वास्तव में पैसा मशीन में ही फंसा होता था जिसे बाद में आरोपी निकाल लेते थे.
67 ATM कार्ड मिले
पुलिस ने आरोपी के पास से 67 एटीएम कार्ड, एक मोबाइल, कैश, 4 चाकू बरामद किया है.
5 सालों से थे एक्टिव
एसीपी वर्णिका सिंह ने बताया कि यह गिरोह पिछले पांच वर्षों से एटीएम फ्रॉड में सक्रिय है. सरगना पंकज कुमार बूथ के अंदर ग्राहकों को गुमराह करता, जबकि बाकी सदस्य बाहर से निगरानी करते थे. आरोपी अधिकतर वारदात दिवाली और होली जैसे त्योहारों से ठीक पहले करते हैं, जब लोग बड़ी संख्या में नकद निकासी करते हैं. 5 सालों से आरोपी ऐसी वारदात को अंजाम दे रहे थे.
धोखाधड़ी की रकम से खरीदारी
पुलिस जांच में सामने आया है कि जब एटीएम निकासी की सीमा खत्म हो जाती, तो आरोपी डेबिट कार्ड से दुकानों पर जाकर खरीदारी करते और भुगतान पीड़ितों के कार्ड से करते थे. जब तक खाते में पैसे खत्म नहीं हो जाते वह कार्ड का इस्तेमाल करते रहते.
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