करवा चौथ 2025 का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए साल का सबसे खास दिन है। यह सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि पति-पत्नी के अटूट प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुखी जीवन की कामना के लिए निर्जला उपवास रखती हैं।
इस वर्ष करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार के दिन रखा जा रहा है। द्रिक पंचांग के अनुसार, व्रत का आरंभ सूर्योदय के साथ ही हो चुका है, और अब सभी व्रती महिलाओं की निगाहें शाम के आकाश की ओर टिकी हैं — जब चांद नजर आएगा और व्रत का पारण किया जा सकेगा।
🌙 चांद के बिना अधूरा रहता है करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ का व्रत तब तक पूर्ण नहीं माना जाता, जब तक कि चंद्रमा को देखकर उनकी पूजा न की जाए। महिलाएं छलनी से चांद को देखकर उसे अर्घ्य देती हैं, फिर उसी छलनी से अपने पति का मुख देखकर जल पीकर व्रत का पारण करती हैं।
लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि खराब मौसम, बादल या धुंध की वजह से चंद्रमा दिखाई नहीं देता। ऐसी स्थिति में कई महिलाएं दुविधा में पड़ जाती हैं कि क्या करें — क्या व्रत तोड़ें या प्रतीक्षा करें?
🕉️ अगर चांद न दिखे तो क्या करें — जानें शास्त्रीय उपाय
धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में बताया गया है कि यदि करवा चौथ की रात चांद बादलों के कारण नजर न आए, तो महिलाएं भगवान शिव की पूजा कर सकती हैं, क्योंकि उनके मस्तक पर चंद्र देव सदैव विराजमान रहते हैं।
पूजा विधि इस प्रकार है:
-
छत या घर के खुले स्थान पर एक स्वच्छ जगह तैयार करें।
-
वहां भगवान शिव की प्रतिमा या फोटो स्थापित करें, जिसमें उनके मस्तक पर चंद्रमा दिखाई देता हो।
-
भगवान शिव के माथे पर तिलक, अक्षत और फूल अर्पित करें।
-
घी का एक दीपक जलाएं और प्रार्थना करें।
-
फिर छलनी से शिव जी के माथे पर स्थित चंद्रमा को देखें और जल अर्पित करें।
-
अब उसी छलनी से अपने पति का मुख देखें, उनकी आरती करें।
-
अंत में पति के हाथों से जल पीकर और मिठाई खाकर व्रत का पारण करें।
यदि आपके पास शिव जी की प्रतिमा नहीं है, तो आप चांद की आकृति बनाकर भी पूजा कर सकती हैं। इसके लिए छत या चौकी पर चावल या आटे से चंद्रमा की आकृति बनाएं, दीपक जलाएं, और चंद्रदेव का ध्यान करके पूजा करें।
🪔 शास्त्रों में क्यों कहा गया है शिव जी की पूजा का महत्व
पुराणों में बताया गया है कि भगवान शिव के मस्तक पर चंद्रदेव निवास करते हैं, इसलिए जब वास्तविक चंद्रमा बादलों में छिप जाए, तो उनके माध्यम से पूजा करना भी समान फल देता है। इससे व्रत का पूर्ण पुण्य प्राप्त होता है और पति की आयु व सुख-समृद्धि की कामना सफल मानी जाती है।
🕗 करवा चौथ 2025: आज चांद निकलने का समय
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष करवा चौथ 2025 पर चंद्रमा का उदय रात 8 बजकर 13 मिनट पर होगा। देश के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय समय में थोड़ी भिन्नता हो सकती है, लेकिन औसतन यही समय चंद्र दर्शन का रहेगा।
महिलाएं इस समय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा संपन्न करेंगी और पति के हाथों से जल पीकर अपना व्रत खोलेंगी।
💫 भावनाओं का पर्व — आस्था, प्रेम और प्रतीक्षा का संगम
करवा चौथ का यह पर्व सिर्फ धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच विश्वास, प्रेम और समर्पण का अद्भुत प्रतीक है। दिनभर बिना जल-पानी के उपवास रखना, शाम को सोलह श्रृंगार से सजी महिलाएं जब छलनी से चांद और फिर अपने जीवनसाथी को देखती हैं, तो वह पल भावनाओं से भरा होता है।
चाहे चांद आसमान में दिखे या बादलों के पीछे छिपा हो — विश्वास और प्रेम के चांद को कोई ढक नहीं सकता।
📰 निष्कर्ष:
अगर इस करवा चौथ पर मौसम के कारण चांद न दिखे, तो निराश न हों। श्रद्धा और विश्वास से शिव जी की पूजा करके भी व्रत का पारण किया जा सकता है। देवी पार्वती और भगवान शिव आपकी मनोकामनाएं पूर्ण करें — यही कामना है।
Hind News 24×7 | हिन्द न्यूज़ Latest News & Information Portal