अलीगढ़: बैनामा सुदा जमीन पर जबरन कब्जे के खिलाफ न्याय की लड़ाई लड़ रहे गरीब किसान अमानत शरण का आमरण अनशन आज नौवें दिन में प्रवेश कर गया है। अमानत शरण 4 अक्टूबर से आमरण अनशन पर हैं, लेकिन उनका संघर्ष 29 सितंबर से शुरू हुआ था, जब वे जिला मुख्यालय पर धरने पर बैठे और प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई।
अमानत शरण लगातार बारिश, भूख और मच्छरों से जूझते हुए भी हिम्मत नहीं हार रहे हैं। उनका कहना है कि वे न्याय की इस लड़ाई में तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक उन्हें उनके बैनामा सुदा जमीन पर पूरा अधिकार नहीं मिल जाता।
स्थानीय भाजपा पार्षद के भाई द्वारा बताया गया कि “जब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा, हम धरना स्थल नहीं छोड़ेंगे। गरीबों की आवाज़ भी सुनवाई की हकदार है।” अमानत शरण का कमजोर होता शरीर भी इंसाफ की पुकार कर रहा है, और उनका यह सवाल सबके मन में गूँज रहा है — “क्या गरीब की आवाज़ सिर्फ अनसुनी ही रहेगी?”
स्थानीय प्रशासन अब तक खामोश है, और कोई भी अधिकारी उनके पास यह देखने या उनकी समस्या का समाधान करने नहीं पहुंचे हैं। इस लंबी लड़ाई में अमानत शरण ने अपनी उम्मीदों को जीवित रखा है और लोगों से न्याय की इस लड़ाई में उनके साथ खड़े होने की अपील की है।
जिले के कई सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय नागरिक भी अमानत शरण के समर्थन में खड़े हैं और प्रशासन से जल्द से जल्द न्याय दिलाने की मांग कर रहे हैं।
बाइट:
— नरेंद्र पाल सिंह (आमरण अनशन पर बैठे किसान)
अलीगढ़ में भू-माफियाओं के खिलाफ यह लड़ाई केवल जमीन के लिए नहीं, बल्कि गरीब और मजदूर वर्ग के अधिकारों के लिए एक प्रतीक बनती जा रही है।
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