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धूमधाम से निकली शोभायात्रा: महर्षि वाल्मीकि जयंती पर नगर में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, विधायक अर्चना पांडे ने किया शुभारंभ

सौरिख/फर्रुखाबाद। समाज के महान ऋषि, आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयंती पर मंगलवार को नगर में श्रद्धा और भक्ति का अनूठा संगम देखने को मिला। इस अवसर पर बाल्मीकि समाज द्वारा भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालु उमड़ पड़े। पश्चिमी बाईपास स्थित नहर निरीक्षण भवन से यात्रा का शुभारंभ हुआ, जहां मुख्य अतिथि विधायक अर्चना पांडे ने दीप प्रज्वलन और पूजन कर विधिवत शुरुआत की।

इस दौरान बाल्मीकि समाज के लोगों ने पारंपरिक पगड़ी पहनाकर और फूल-मालाओं से विधायक अर्चना पांडे का गर्मजोशी से स्वागत किया। ढोल-नगाड़ों और जयकारों की गूंज के बीच शोभायात्रा जब नगर की ओर बढ़ी, तो लोगों ने जगह-जगह इसका स्वागत किया। नगर के बिशुनगढ़ तिराहा, पीपल चौराहा, मोहन मार्केट, सौरिख बस स्टॉप, रोडवेज बस स्टैंड और सौरिख तिराहा सहित कई स्थानों पर श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर महर्षि वाल्मीकि के जयकारों से वातावरण भक्तिमय बना दिया।

शोभायात्रा में सजे-धजे रथों पर महर्षि वाल्मीकि, भगवान राम, लक्ष्मण और सीता के झांकी रूपों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। समाज के युवाओं, महिलाओं और बच्चों ने भी पारंपरिक वेशभूषा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। शोभायात्रा के मार्ग में जगह-जगह पेयजल और प्रसाद वितरण की व्यवस्थाएं की गई थीं।

कार्यक्रम के दौरान सभासद किशन लाल ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि न केवल रामायण के रचयिता थे, बल्कि उन्होंने समाज के हर वर्ग को समानता और आदर्श जीवन का संदेश दिया। उन्होंने रामराज्य की ऐसी परिकल्पना की थी जो आज भी प्रासंगिक है। यदि समाज उनके दिखाए मार्ग पर चले, तो रामराज्य की संकल्पना साकार की जा सकती है।

विधायक अर्चना पांडे ने भी इस अवसर पर कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने समाज में समानता, शिक्षा और मर्यादा की अमिट नींव रखी। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन सामाजिक एकता और संस्कारों को जीवित रखते हैं। विधायक ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा कि यह उत्सव आने वाले वर्षों में और भी भव्य रूप में मनाया जाएगा।

शोभायात्रा के सफल आयोजन के बाद बाल्मीकि मंदिर परिसर में भजन-कीर्तन और प्रसाद वितरण का कार्यक्रम संपन्न हुआ। संध्या समय दीप प्रज्वलन के साथ श्रद्धालुओं ने महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को आत्मसात करने का संकल्प लिया।

नगर में निकली यह शोभायात्रा न केवल एक धार्मिक आयोजन थी, बल्कि सामाजिक एकता, सद्भाव और संस्कृति के संरक्षण का एक प्रेरक उदाहरण भी बन गई।

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