बरेली में इस वर्ष विजयदशमी का पर्व अद्भुत उत्साह और भव्यता के साथ मनाया गया। शहर भर में रामलीला मंचन और रावण दहन के कार्यक्रमों ने लोगों को न केवल धार्मिक उत्साह से भर दिया, बल्कि एक बार फिर यह संदेश भी दिया कि असत्य और बुराई का अंत निश्चित है।
हार्टमन मैदान में 45वीं रामलीला का भव्य आयोजन
शहर का प्रमुख आकर्षण हार्टमन मैदान रहा, जहां उत्तर भारत की सबसे पुरानी और ऐतिहासिक 45वीं रामलीला आयोजित की गई। बृहस्पतिवार शाम को ही यहां श्रद्धालुओं और दर्शकों का तांता लगना शुरू हो गया था। जैसे-जैसे रात ढलती गई, मैदान की रौनक और बढ़ती चली गई।
रामलीला के मंचन में अयोध्या से आई विशेष टोली ने भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध का जीवंत चित्रण किया। मंच पर दिखाया गया कि श्रीराम के कई तीर रावण पर असरहीन रहे। तभी विभीषण ने रावण के अमरत्व का रहस्य बताया और श्रीराम को उसकी नाभि पर तीर चलाने का सुझाव दिया। मंत्रोच्चारण के बाद जब भगवान राम ने वह अंतिम तीर चलाया, तो रावण धराशायी हो गया। उसी क्षण मैदान जय श्रीराम के गगनभेदी नारों से गूंज उठा और विशालकाय रावण का पुतला धू-धू कर जलने लगा।
इस मौके पर सांसद छत्रपाल गंगवार, वन मंत्री डॉ. अरुण कुमार, महापौर उमेश गौतम और भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष दुर्ग विजय सिंह शाक्य समेत कई जनप्रतिनिधि और गणमान्य लोग मौजूद रहे।
सुभाषनगर में रावण वध का दिव्य मंचन
सुभाषनगर में आयोजित रामलीला में भी दशहरा धूमधाम से मनाया गया। यहां श्रीराम, लक्ष्मण और हनुमान की आरती के साथ कार्यक्रम की शुरुआत हुई। इसके बाद युद्ध का मंचन हुआ जिसमें रावण बार-बार तीरों से घायल होकर भी नहीं गिर रहा था। विभीषण ने श्रीराम को उसका रहस्य बताते हुए कहा कि उसकी नाभि ही उसकी कमजोरी है। जैसे ही भगवान राम ने नाभि पर तीर चलाया, रावण युद्ध भूमि में गिर पड़ा। इसके साथ ही चारों ओर जय श्रीराम के उद्घोष गूंज उठे।
इसके उपरांत रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतलों का दहन किया गया। आतिशबाजी ने इस पूरे आयोजन को और भी रंगीन और आकर्षक बना दिया।
सीबीगंज में 44वां दशहरा मेला
सीबीगंज क्षेत्र में स्थित आईटीआर कॉलोनी चौक पंथा आठ पर 44वां दशहरा मेला भी पूरे उत्साह के साथ आयोजित हुआ। मेले का शुभारंभ सांसद छत्रपाल गंगवार ने किया। उन्होंने कहा कि यह पर्व केवल धार्मिक महत्व का ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
मेले में आसपास के गांवों और कस्बों से हजारों लोग शामिल हुए। रात करीब नौ बजे रावण दहन हुआ और आतिशबाजी ने रात के अंधेरे को प्रकाशमय कर दिया।
रावण दहन से मिला शाश्वत संदेश
शहर के विभिन्न हिस्सों में आयोजित रामलीलाओं और रावण दहन के इन आयोजनों ने लोगों को एक बार फिर यह प्रेरणा दी कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में जीत सत्य और धर्म की ही होती है। रावण दहन के समय उमड़े जनसमूह और गूंजते जयकारों ने इस बात को और मजबूती से स्थापित कर दिया।
बरेली में दशहरे के इस भव्य आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रकट किया, बल्कि सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक एकता की भी झलक दिखाई। लोगों के चेहरों पर उत्साह और आनंद साफ झलक रहा था।
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