सिद्धार्थनगर में सोमवार की रात एक ऐसी घटना हुई जिसने स्थानीय लोगों और हिंदू समुदाय में गहरा आक्रोश पैदा कर दिया है। जिला प्रशासन की ओर से रात के अंधेरे में एक प्राचीन मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया, जिसे लेकर स्थानीय लोगों ने इसे हिंदू जनभावनाओं पर आघात करार दिया है।
मंदिर की असंवैधानिक ध्वस्तता के बाद क्षेत्र में भारी रोष फैल गया और लोगों ने विरोध स्वरूप धरना शुरू कर दिया। इस धरने में स्थानीय धर्म गुरुओं, समाजिक नेताओं और आम नागरिकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनका कहना है कि यह कार्रवाई न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से संवेदनशील है, बल्कि संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ भी है।
घटना स्थल पर मौके पर पहुंचे सांसद ने स्थानीय लोगों से बातचीत करते हुए आश्वासन दिया कि सरकार से संपर्क कर मंदिर का पुनः निर्माण करवाया जाएगा। सांसद ने कहा कि प्रशासन की इस कार्रवाई से जनता के भावनाओं को ठेस पहुँची है और वह इस मामले को उच्चस्तरीय अधिकारियों के सामने उठाएंगे।
स्थानीय लोग और धर्मगुरु अब भी धरने पर बैठे हैं और पुनः मंदिर निर्माण की मांग कर रहे हैं। इस बीच, प्रशासन की ओर से अभी तक इस घटना पर कोई विस्तृत बयान नहीं आया है।
विशेष जानकारी:
यह मंदिर सदियों पुराना था और स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र माना जाता था। अधिकारियों द्वारा किए गए इस कदम ने सिद्धार्थनगर में धार्मिक और सामाजिक संवेदनाओं को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
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