Judicial Controversy News: MP हाईकोर्ट ने Gwalior बेंच के जज द्वारा शिवपुरी के सत्र जज पर की गई टिप्पणी पर कड़ी फटकार लगाई. डिविजन बेंच ने कहा ये टिप्पणियां गैरजिम्मेदाराना और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक गम्भीर फैसले में कहा है कि Gwalior बेंच के एक जज द्वारा शिवपुरी के सत्र जज पर की गई टिप्पणियां पूरी तरह गलत और गैरजरूरी थीं. दरअसल, Gwalior की सिंगल जज बेंच ने दो अलग-अलग आरोपियों के जमानत मामले की सुनवाई करते हुए सुझाव दिया था कि 1st अतिरिक्त सत्र जज (विवेक शर्मा) ने जमानत मामले में फैसले के दौरान “आपराधिक फायदा” पहुंचाया और उनका आदेश अनुचित था.
सिंगल जज बेंच ने आदेश में कहा था कि यह मामला उच्च न्यायालय की मुख्य रजिस्ट्रार (विजिलेंस) और मुख्य न्यायाधीश के पास भेजा जाए ताकि जज के खिलाफ जांच और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सके.
लेकिन जब यह मामला Jabalpur की डिविजन बेंच के सामने आया, तो उन्होंने कड़ा विरोध जताया. डिविजन बेंच (जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल) ने कहा, “इस तरह की टिप्पणियां ‘chilling’ यानी डर पैदा करने वाली हैं. यह मान लेना कि सत्र जज ने दोषियों को फायदा पहुंचाने के लिए आदेश दिया, पूरी तरह अनुचित और बिना सबूत के है. यह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ है, जो कहता है कि हाईकोर्ट को किसी जज के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी से बचना चाहिए.”
जस्टिस अतुल और जस्टिस प्रदीप ने स्पष्ट किया कि “गलत आदेश की आलोचना की जा सकती है, लेकिन जज की व्यक्तिगत आलोचना से बचना चाहिए. पहला वैध है, दूसरा पूरी तरह गलत.”हाईकोर्ट ने निर्देश दिया है कि रजिस्ट्रार जनरल तुरंत सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर करें ताकि सुप्रीम कोर्ट इस मामले का अंतिम निर्णय ले सके. याचिका 10 दिनों के भीतर दायर की जानी है.
इस घटना ने न्यायिक व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या जजों के फैसलों की आलोचना करते समय व्यक्तिगत टिप्पणी करना सही है या नहीं.