जनपद मुख्यालय में विकास कार्यों के बहाने एक बार फिर हिन्दू जनभावनाओं को ठेस पहुंची है। वर्षों पुराना प्राचीन मंदिर, जो स्थानीय लोगों की आस्था और धार्मिक विश्वास का प्रतीक रहा है, जिला प्रशासन द्वारा तोड़ा जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर वर्षों से जनपद मुख्यालय के विकास भवन के सामने स्थित था और जनता की सहमति से फ्लाईओवर के निर्माण के दौरान विस्थापित किया गया था। उस समय मंदिर को सुरक्षित स्थान पर पुनः स्थापित किया गया था, ताकि लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जा सके।
लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने मंदिर को उसके पुनः स्थापित स्थान से हटाने और अस्तित्व मिटाने का प्रयास किया, जिससे स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए। भारी संख्या में लोग मौके पर जुटे और प्रशासन की इस कार्रवाई का विरोध किया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह प्राचीन मंदिर केवल ईंट-पत्थर का निर्माण नहीं है, बल्कि उनके धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास का प्रतीक है। प्रशासन की इस कार्रवाई को लेकर लोगों में गहरी नाराजगी और चिंता देखी जा रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि विकास कार्यों के दौरान धार्मिक स्थलों और स्थानीय आस्थाओं का सम्मान करना समाज में सामंजस्य बनाए रखने के लिए बेहद जरूरी है।
जनपद प्रशासन पर अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या विकास और धार्मिक आस्था के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए पर्याप्त ध्यान दिया गया या नहीं।
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