कुशीनगर: हाटा कोतवाली क्षेत्र के मुजहना रहीम स्थित संस्कृत विद्या प्रबोधिनी विद्यालय में 15 वर्षीय छात्र की हत्या के मामले ने पूरे जिले को हिला कर रख दिया था। घटना के खुलासे के बाद अब यह साफ हो गया है कि मासूम की हत्या विद्यालय के ही पूर्व प्रधानाचार्य ने अप्राकृतिक दुष्कर्म की नीयत से की थी। पुलिस ने जांच में जुटते हुए आरोपी प्रधानाचार्य सहित चार अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
घटना का पूरा घटनाक्रम
12 सितम्बर की रात विद्यालय परिसर से एक किशोर का शव संदिग्ध हालात में फंदे से लटका हुआ मिला था। अचानक मिली इस खबर से पूरे इलाके में सनसनी फैल गई। शव की पहचान 15 वर्षीय छात्र के रूप में हुई। परिजनों और ग्रामीणों ने इसे हत्या करार देते हुए पुलिस से सख्त कार्रवाई की मांग की थी।
पहले पहल मामला आत्महत्या जैसा प्रतीत कराया गया, लेकिन मृतक के परिवार का आरोप था कि यह सुनियोजित हत्या है। परिजनों के आक्रोश और ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए पुलिस ने तत्काल जांच शुरू की।
जांच में चौंकाने वाला खुलासा
पुलिस ने घटना की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी साक्ष्यों की मदद ली और मुखबिरों से जानकारी जुटाई। जांच के दौरान जो खुलासा हुआ, वह बेहद भयावह था।
दरअसल, विद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य ने छात्र के साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म करने की कोशिश की थी। जब किशोर ने इसका विरोध किया, तो दरिंदे ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद आरोपियों ने घटना को आत्महत्या का रूप देने के लिए शव को फंदे से लटका दिया।
पुलिस की कार्रवाई
हाटा कोतवाली पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए चार अभियुक्तों को गिरफ्तार किया। इनमें मुख्य आरोपी विद्यालय का पूर्व प्रधानाचार्य शामिल है। पुलिस ने सभी को जेल भेज दिया है।
कुशीनगर पुलिस अधीक्षक ने कहा कि “यह बेहद जघन्य अपराध है। मुख्य आरोपी और उसके साथियों पर सख्त धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। न्यायालय से भी कठोरतम दंड दिलाने की कार्रवाई की जाएगी।”
ग्रामीणों में आक्रोश
इस अमानवीय अपराध ने पूरे क्षेत्र को झकझोर दिया है। ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों में भारी आक्रोश है। लोगों का कहना है कि एक शिक्षा संस्थान में ऐसा घिनौना अपराध होना शर्मनाक है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषियों को फांसी जैसी सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई भी ऐसा दुष्कृत्य करने की हिम्मत न कर सके।
शिक्षा संस्थान पर उठे सवाल
घटना के बाद विद्यालय प्रशासन और शिक्षा संस्थानों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त नियम और निगरानी व्यवस्था अनिवार्य की जानी चाहिए।
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