कुशीनगर जिले के तमकुहीराज तहसील क्षेत्र के पुष्कर दशहवा गांव के लगभग 500 परिवारों की चिन्ता बढ़ गई है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके घरों पर योगी सरकार के बुलडोजर का खतरा मंडरा रहा है। इसी को लेकर आज सैकड़ों ग्रामीण जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे और डीएम को एक मांग पत्र सौंप कर न्याय की गुहार लगाई।
ग्रामीणों ने बताया कि जब नारायणी नदी की कटान शुरू हुई थी, तब उनकी जमीन खतरे में थी और वे भूमिहीन हो गए थे। उस समय प्रदेश सरकार के तत्कालीन मंत्री बाबू गेंदा सिंह ने उनकी कठिन परिस्थितियों को देखते हुए 1962 में उन्हें नई जमीन पर बसाया। इसके बाद 1971 में, जब कुशीनगर देवरिया जिले का हिस्सा था, उस समय के एसडीएम पुष्कर शर्मा ने भी कुछ और परिवारों को बसाया और इसी नाम पर इस गांव का नाम पुष्कर दशहवा रखा गया। तब से लेकर अब तक यह गांव सुरक्षित रूप से लोगों का निवास स्थान रहा।
लेकिन पिछले दो वर्षों से जिले के वन विभाग द्वारा ग्रामीणों को उनकी ही जमीन से उजाड़ने के नोटिस दिए जा रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वे वर्षों से उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ उठा रहे हैं। इस गांव में उन्हें राशन कार्ड, आवास, शौचालय, बिजली, पानी, सड़क सहित अन्य सभी योजनाओं का लाभ मिल चुका है।
ग्रामीणों ने डीएम को सौंपे गए पत्र में कहा, “हमारी मांग है कि हमें हमारे आशियाने से बेदखल न किया जाए। हम पहले ही भूमिहीन हो चुके हैं। पहले हमारे सपने और अरमान नारायणी नदी में विलीन हो गए, और अब वन विभाग हमारे घरों पर नजर गड़ाए हुए है। आखिर हम लोग जाएंगे कहाँ?”
ग्रामीणों ने न्याय की गुहार लगाते हुए जिलाधिकारी से तत्काल हस्तक्षेप करने और उन्हें उनके घरों में सुरक्षित रहने का आश्वासन देने की मांग की है।
इस घटना ने पूरे क्षेत्र में चिंता और असंतोष की लहर फैला दी है। ग्रामीणों की मांग है कि सरकार और प्रशासन उनकी स्थिति को गंभीरता से समझे और उन्हें उनके आशियाने से बेदखल करने के कदम तुरंत बंद करे।
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