आज जिला मुख्यालय पर शिक्षकों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान शिक्षकों ने नारेबाजी कर अपनी नाराजगी व्यक्त की और सरकार से हस्तक्षेप की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश दिया है कि सभी शिक्षकों को अगले दो साल के भीतर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करना अनिवार्य होगा। यह आदेश उन शिक्षकों पर लागू होगा जिनकी सेवा अवधि अभी पाँच साल या उससे अधिक बची हुई है।
अनुभवी शिक्षकों का कहना है कि 20-25 वर्षों से सेवा में रहते हुए भी टीईटी परीक्षा पास करने की अपेक्षा करना अनुचित है। उनके अनुसार, वर्षों का अनुभव और शिक्षण कौशल ही उनकी योग्यता का मुख्य मापदंड होना चाहिए।
इस आदेश के लागू होने से शिक्षकों की योग्यता पर सवाल उठने लगे हैं और कई शिक्षकों ने चिंता जताई कि इससे उनकी नौकरी की सुरक्षा भी प्रभावित हो सकती है। शिक्षकों की मांग है कि टीईटी परीक्षा की अनिवार्यता को हटाया जाए और उनकी सेवा अवधि और अनुभव के आधार पर उन्हें मूल्यांकन किया जाए।
शिक्षकों का यह भी कहना है कि सरकार को इस मामले में उनके पक्ष में कदम उठाने चाहिए और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार की पहल करनी चाहिए। यह आदेश केवल उत्तर प्रदेश में ही 2 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रभावित कर सकता है और कई अन्य राज्यों के शिक्षकों पर भी इसका असर पड़ेगा।
इस विरोध प्रदर्शन में शिक्षकों ने स्पष्ट संदेश दिया कि अनुभव और सेवा को नजरअंदाज कर केवल परीक्षा के आधार पर योग्यता तय करना शिक्षकों के लिए न्यायसंगत नहीं है।
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