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विज्ञान और शोध के क्षेत्र में बढ़ेगी बालिकाओं की सहभागिता: कस्तूरबा गांधी विद्यालय में महिला कल्याण विभाग का विशेष कार्यक्रम सम्पन्न

गोण्डा। महिला कल्याण विभाग द्वारा संचालित विशेष जागरूकता कार्यक्रम का समापन शुक्रवार को कटरा बाजार स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में किया गया। यह कार्यक्रम बीते 10 दिनों से लगातार चल रहा था, जिसका मुख्य उद्देश्य बालिकाओं को एसटीईएम (STEM – साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) के महत्व से अवगत कराना और उन्हें विज्ञान एवं शोध के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना था।

महिलाओं का विज्ञान और तकनीक में बढ़ता योगदान

कार्यक्रम के अंतिम दिन “गर्ल्स/वूमेन एक्सेलिंग इन एसटीईएम” विषय पर विशेष सत्र आयोजित किया गया। इसमें छात्राओं को बताया गया कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी लगातार बढ़ रही है और उनके योगदान से समाज नई दिशा प्राप्त कर रहा है। वक्ताओं ने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान में महिलाओं की भूमिका केवल व्यक्तिगत सफलता तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलता है और नवाचार को नई गति मिलती है।

विशेषज्ञों के विचार

  • डिस्ट्रिक्ट मिशन कोऑर्डिनेटर शिवेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि वर्तमान समय में विज्ञान एवं तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की सहभागिता उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। आवश्यकता है कि बालिकाओं को इन क्षेत्रों में अवसर और मार्गदर्शन मिले ताकि वे भविष्य में देश का नाम रोशन कर सकें।

  • जेंडर स्पेशलिस्ट ज्योत्सना सिंह ने कहा कि STEM शिक्षा के माध्यम से बालिकाएं न सिर्फ आत्मनिर्भर बन सकती हैं, बल्कि समाज को भी नई दिशा दे सकती हैं।

  • जेंडर स्पेशलिस्ट राजकुमार आर्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि महिलाओं की वैज्ञानिक सोच और नवाचार से देश को वैश्विक स्तर पर नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है।

बालिकाओं का उत्साह और संकल्प

इस अवसर पर विद्यालय की वार्डेन ऋचा मिश्रा, शिक्षिकाएं अर्चना श्रीवास्तव, शादमा इस्माईल, कविता आर्य, अनुराधा शुक्ला, रीनू यादव और केतकी देवी उपस्थित रहीं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राओं ने भाग लिया और STEM शिक्षा को अपनाने तथा विज्ञान एवं शोध के क्षेत्र में अपने करियर को संवारने का संकल्प लिया।

उत्साहपूर्ण समापन

कार्यक्रम का समापन उत्साह और जोश से भरे माहौल में हुआ। छात्राओं ने कहा कि अब वे केवल पारंपरिक शिक्षा तक सीमित न रहकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध के क्षेत्र में भी आगे बढ़ेंगी। यह जागरूकता कार्यक्रम बालिकाओं के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा लेकर आया है।

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