मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून को लेकर हुई हिंसा के बाद धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। धुलियान समेत कई कस्बों में अभी भी बीएसएफ तैनात हैं। इस बीच कई हिंदू परिवार हिंसा के बाद पलायन कर गए। आइये पीड़ितों की जुबानी जानते हैं हिंसा वाले दिन क्या हुआ?
नंद किशोर मंडल, पाकुड़
वक्फ संशोधन बिल पर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जमकर बवाल हुआ। विरोध और मार्च के नाम पर इकट्ठा हुए लोगों ने भयंकर हुड़दंग किया। इस हिंसा में 3 लोगों की मौत हो गई। वहीं कई लोग घायल हो गए। उपद्रवियों ने सैकड़ों दुकानों को आग के हवाले कर दिया जबकि कई घरों में से पैसे भी लूटे। फिलहाल क्षेत्र में शांति है। हिंसा के बाद क्षेत्र में बीएसएफ और केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। जानकारी के अनुसार अब वहां हालात सामान्य हो रहे हैं। इस बीच डर के साए में रह रहे हिंदू परिवारों ने पलायन शुरू कर दिया है। मुर्शिदाबाद के धुलियान से 500 हिंदू परिवार पलायन कर झारखंड और आसपास के राज्यों में शरण ले रहे हैं।
परिजनों के पास ली शरण
राज्य के आला पुलिस अधिकारियों की मानें तो पलायन किए लोगों को फिर से बसाने की कोशिश की जा रही है। कई लोगों को वापस भी लाया गया है, लेकिन न्यूज24 की ग्राउंड रिपोर्ट में अधिकारियों के दावों की पोल खुल गई। हिंसा के बाद डरे और सहमे सुनीता साहा, लखाय साहा और झुमकी साहा झारखंड के पाकुड़ पहुंचे हैं। मुर्शिदाबाद के शमशेरगंज थाने के जाफराबाद गांव में बीते शनिवार को पिता-पुत्र की हत्या के बाद सहमे लोगों ने पाकुड़ जिले के नगरनवी गांव में अपने परिजनों के साथ शरण ले रखी है। पीड़ित परिवारों ने जो बताया वो सुनकर हर कोई सन्न रह गया।
बीएसएफ की वजह से बची जान
पीड़ित परिवारों बताया कि हिंदुओं को टारगेट करके घरों को निशाना बनाया गया उनमें आग लगा दी गई। महिलाओं के साथ छेड़खानी की गई। घर और दुकानों में लूटपाट की गई। हम लोग मजबूर थे कोई भी विरोध नहीं कर पा रहा था। पुलिस वाले मदद नहीं कर रहे थे। हर कोई मूक दर्शन बन कर खड़ा था। उपद्रवियों ने घरों के मंदिरों को भी नहीं छोड़ा। हमने कभी ऐसी कल्पना नहीं थी कि इस शहर में ऐसा नजारा देखने को मिलेगा। पीड़ितों ने कहा कि हम बीएसएफ और परिजनों की मदद से जैसे-तैसे नगर नवी गांव में अपने परिजनों के यहां शरण लिए हुए हैं। परिवारों ने बताया कि हिंसा की घटना के बाद पुलिस पहुंची। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लोगों ने बताया कि हमारे अलावा और भी कई लोग है जो अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हुए हैं।
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