सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तीन नए आपराधिक कानूनों भारतीय न्याय संहिता 2023 (Indian Judicial Code) भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (Indian Civil Defense Code) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (Indian Evidence Act) की व्यवहार्यता की जांच मूल्यांकन और पहचान करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए आपराधिक कानूनों के खिलाफ दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने वकील विशाल तिवारी द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। जब कोर्ट याचिका पर सुनवाई के लिए राजी नहीं हुई तो वकील तिवारी ने याचिका वापस ले ली। याचिकाकर्ता ने तीन नए आपराधिक कानूनों के संचालन और कार्यान्वयन को जारी रखने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की।
‘तीनों आपराधिक कानूनों पर नहीं हुई कोई बहस’
याचिका के अनुसार, तीन आपराधिक कानून बिना किसी संसदीय बहस के पारित और अधिनियमित किए गए, क्योंकि इस अवधि के दौरान अधिकांश सदस्य निलंबित थे।
याचिका में कहा गया है, “संसदीय बहस लोकतांत्रिक कानून निर्माण का एक बुनियादी हिस्सा है। संसद में सदस्य बिलों पर मतदान करने से पहले उन पर बहस करते हैं क्योंकि बहसें सार्वजनिक होती हैं, वे संसद सदस्यों (सांसदों) को सदन में अपने घटकों के विचारों का प्रतिनिधित्व करने और आवाज उठाने का अवसर प्रदान करती हैं।”