नई दिल्ली। श्रीलंका ने शनिवार को 12 घंटे के लिए देशव्यापी कर्फ्यू हटा लिया, और कड़े प्रतिबंधों में भी ढील दी. इस बीच नए प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे सरकार बनाने की कोशिशों में जुट गए हैं. सरकार ने शनिवार सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक कर्फ्यू हटा लिया. 9 मई को लगाया गया 24 घंटे का कर्फ्यू 12 मई और 13 मई को भी कुछ घंटों के लिए हटा लिया गया था ताकि लोग आवश्यक चीजों को खरीद सके.
बता दें श्रीलंका में सरकार समर्थकों और विरोधियों के बीच हुई झड़प में अब तक 9 लोगों की मौत हो गई है और 300 से अधिक लोग घायल हो गए. बता दें सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के समर्थकों ने हमला कर दिया था, जिसके बाद श्रीलंका में हिंसा भड़क गई.
राजपक्षे ने दिया पीएम पद से इस्तीफा
श्रीलंका में घोर आर्थिक संकट के बीच महिंदा राजपक्षे ने सोमवार (9 मई) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इससे कुछ ही घंटों पहले, उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमला किया था, जिसके कारण प्राधिकारियों को राजधानी में सैन्य बलों को तैनात करना पड़ा और राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाना पड़ा.
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विक्रमसिंघे बने नए प्रधानमंत्री
चार बार श्रीलंका के पीएम रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को गुरुवार (12 मई) को राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया. यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) की संसद में केवल एक सीट है.
अधिकांश विपक्षी दल सरकार में नहीं होना चाहते शामिल
श्रीलंका में ज्यादातर विपक्षी दलों ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे की अंतरिम सरकार में शामिल नहीं होंगे लेकिन कर्ज में डूबे देश की स्थिति में सुधार में मदद की खातिर बाहर से आर्थिक नीतियों का समर्थन करेंगे.
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सबसे बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है श्रीलंका
वर्ष 1948 में ब्रिटेन से आजादी मिलने के बाद श्रीलंका अब तक के सबसे गंभीर आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है. यह संकट मुख्य रूप से विदेशी मुद्रा की कमी के कारण पैदा हुआ, जिसका अर्थ है कि देश मुख्य खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान नहीं कर पा रहा है. नौ अप्रैल से पूरे श्रीलंका में हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं, क्योंकि सरकार के पास आयात के लिए धनराशि खत्म हो गई है. आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छू रही हैं.