प्रयागराज। समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री आजम खान को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है. सपा नेता की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि, आजम खान ने सत्ता के नशे में मदहोश होकर अपने पद का दुरुपयोग किया था. अदालत ने पूर्व काबीना मंत्री को अंतरिम जमानत दी है जो उनकी उम्र और स्वास्थ्य के आधार पर दी गई है.
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वहीं 40 पन्ने के फैसले में जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े एक मामले पर हाई कोर्ट ने हैरानी जताते हुए कहा कि, आजम अपने सपनों को पूरा करने के लिए जौहर यूनिवर्सिटी के नाम पर कारोबारी की तरह काम करते रहे. इस मामले में कई जगह ठगने जैसा काम किया गया है.
कोर्ट ने कहा कि, केवल वस्तु ही पवित्र नहीं होनी चाहिए बल्कि उसके साधन भी सही और पारदर्शी होनी चाहिए. यूनिवर्सिटी का निर्माण एक अच्छा काम लेकिन उसे तैयार करने में उपयोग किए गए साधन व कदम सही नहीं हैं.
ताकत मिलने पर आदमी भगवान को भी नहीं छोड़ता- कोर्ट
जस्टिस राहुल चतुर्वेदी की बेंच ने कहा कि, कैबिनेट मंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति जब कपटपूर्ण आचरण करता है तो उससे जनता का विश्वास डगमगाता है. शक्ति मनुष्य को भ्रष्ट करती है और अगर पूरी शक्ति मिल जाए तो उसे पूरी तरह से भ्रष्ट कर देती है. पूर्ण शक्ति मिलने पर आदमी भगवान को भी नहीं छोड़ता.
अदालत ने कहा कि, आमतौर पर ऐसा होता है कि जो लोग सत्ता में होते हैं उनके मन में अक्सर लोगों का हित नहीं होता. वह मुख्य रूप से स्वयं के लाभों पर केंद्रित होते हैं और खुद की मदद करने के लिए अपनी स्थिति व शक्ति का दुरुपयोग करते हैं.
कोर्ट ने आगे कहा, आजम खान ने यूनिवर्सिटी की स्थापना और संचालन के लिए अवैध व गलत तरीकों को भी इस्तेमाल किया और किसी भी हद तक चले गए. उन्होंने यूनिवर्सिटी को अपनी जागीर समझा और इसी नाते स्थाई कुलाधिपति बन गए.
अदालत ने अपने फैसले में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संदेशों का उदाहरण दिया. कोर्ट ने कहा कि, उच्च लक्ष्य प्राप्ति के लिए साधन की पवित्रता बेहद जरूरी होती है. धर्म की आड़ में अवैध तरीके से जमीन हड़पना कतई ठीक नहीं है.
कोर्ट ने अपने फैसले में महान विचारक और दार्शनिक सैनिका के कथन का भी उदाहरण दिया. अदालत ने कहा कि, धर्म को आम लोग सत्य- बुद्धिमान लोग असत्य और शासक उपयोगी मानते हैं. कोर्ट ने ब्रिटिश इतिहासकार लाड एक्टन के सिद्धांत का भी जिक्र किया और कहा कि किसी व्यक्ति की नैतिकता की भावना उसकी शक्ति बढ़ने के साथ खत्म हो जाती है.
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अदालत ने कहा- पासपोर्ट जमा करें
कोर्ट ने कहा कि, इस केस को देखने के बाद यह लगता है कि यह सिद्धांत आज भी चल रहा है. अदालत ने इन्हीं तल्ख टिप्पणियों के साथ आजम खान को पूर्णकालिक जमानत नहीं दी और सिर्फ अंतरिम जमानत दी.
अदालत ने फैसले में कहा कि, आजम खान जब विवादित जमीन सरकारी अमले को कब्जे में दे देंगे तभी उन्हें नियमित जमानत मिलेगी. जमानत किसी भी बंदी का अधिकार है और जेल अपवाद होती है.
कोर्ट ने कहा “आजम खान को उनकी 72 साल की उम्र और खराब स्वास्थ्य की वजह से अंतरिम जमानत दी जा रही है. अदालत ने तकरीबन ढाई साल से जेल में बंद रहने के मानवीय आधार पर जमानत देने की बात कही है अदालत ने जमानत के लिए पासपोर्ट जमा करने को भी कहा है.
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