Chomasi to Lincholi tunnel: अब केदारनाथ जाने के लिए यात्रियों को 16 किलोमीटर पैदल नहीं चलना पड़ेगा। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने इसको लेकर 7 किलोमीटर लंबी टनल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
Kedarnath tunnel project: हर साल लाखों यात्री भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ धाम की यात्रा करते हैं। ऐसे में यात्रियों को कई दुर्गम रास्तों से होकर जाना पड़ता है। अब सरकार यात्रियों की सुविधा के लिए केदारनाथ धाम पहुंचने के लिए दूसरा वैकल्पिक मार्च तलाशने में जुटी है। अगले 4-5 साल में केदारनाथ जाने के दो रास्ते होंगे। केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्रालय ने अब केदारनाथ धाम के रास्ते को सुगम और आसान बनाने के लिए 7 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की तैयारी कर ली है। इस सुरंग के बनने के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की दूरी 16 किलोमीटर से घटकर 5 किलोमीटर रह जाएगी।
सुरंग बनने के बाद केदारनाथ धाम जाने के दो रास्ते हो जाएंगे। पहला तो 16 किलोमीटर लंबा गौरीकुंड से रामबाड़ा-लिंचोली वाला मार्ग और दूसरा सुरंग वाला मार्ग। सुरंग बनाने को लेकर मंत्रालय ने पहाड़ का प्रारंभिक सर्वेक्षण करवा लिया है। जानकारी के अनुसार यह टनल उत्तराखंड में 6562 फीट ऊपर कालीमठ घाटी के आखिरी गांव चौमासी से लिंचोनी तक बनेगी। बता दें कि चौमासी तक पक्की रोड अभी है। इसके बाद 7 किलोमीटर लंबी टनल होगी फिर 5 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर पार करनी होगी।
बता दें कि अभी केदारनाथ धाम जाने के लिए गौरीकुंड से 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इस दौरान यात्रियों को कई उबड़-खाबड़ रास्तों और खच्चरों की मदद लेनी पड़ती है। 16 किलोमीटर लंबा रास्ता गौरीकुंड से रामबाड़ा 9 किलोमीटर और रामबाड़ा से लिंचोली 2 किलोमीटर और लिंचोली से केदारनाथ मंदिर का रास्ता 5 किलोमीटर दूर है। यह पूरा पैदल मार्ग मंदाकिनी नदी के किनारे पर हैं।
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