हंसराज अहीर ने कहा कि इस वर्गीकरण की वजह से मुस्लिमों को शिक्षण संस्थानों और राज्य सेवा की नौकरियों में संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत आरक्षण का लाभ मिलेगा।
कर्नाटक में पूरे मुस्लिम समुदाय को आरक्षण का लाभ देने के लिए ओबीसी वर्ग में शामिल करने के राज्य सरकार के फैसले पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोगन (एनसीबीसी) ने आपत्ति जताई है। अब एनसीबीसी इसे लेकर कर्नाटक के मुख्य सचिव को समन भेजने की तैयारी कर रहा है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने यह जानकारी दी। हंसराज अहीर ने कहा कि ‘कर्नाटक में मुस्लिम धर्म की सभी जातियों और समुदायों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा मानते हुए उन्हें पिछड़ा वर्ग के राज्य सूची में सेकेंड बी कैटेगरी के तहत अलग से बतौर मुस्लिम जाति शामिल किया गया है।’
‘सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं’
हंसराज अहीर ने कहा कि इस वर्गीकरण की वजह से मुस्लिमों को शिक्षण संस्थानों और राज्य सेवा की नौकरियों में संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के तहत आरक्षण का लाभ मिलेगा। एनसीबीसी ने कहा कि सभी मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में आरक्षण देने से मुस्लिम समुदाय की विविधता और जटिलताओं की भी अनदेखी हुई है। अहीर ने बताया कि राज्य सरकार ने इस मामले पर जो जवाब भेजा है, वह संतोषजनक नहीं है और इसलिए वह कर्नाटक के मुख्य सचिव को इस मामले में समन भेजकर तलब करेंगे और स्पष्टीकरण मांगेंगे।
कर्नाटक में 12.92 फीसदी मुस्लिम आबादी
कर्नाटक के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के डाटा के अनुसार, मुस्लिम धर्म की सभी जातियों और समुदायों को ओबीसी वर्ग में शामिल किया गया है। बीते साल एक जांच के दौरान राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने राज्य में आरक्षण नीति की समीक्षा की, जिसमें मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ देने का खुलासा हुआ। कर्नाटक में ओबीसी वर्ग को 32 फीसदी आरक्षण दिया जाता है। राज्य सरकार के सभी मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने से स्थानीय निकाय चुनाव भी प्रभावित होगा। 2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में 12.92 फीसदी मुस्लिम हैं।
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