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वित्त मंत्री जीएसटी पर राज्यों के मंत्री समूह से मिलीं; कर सुधारों की जरूरत के बारे में बताया

GST GoM Meeting: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जीएसटी सुधारों पर राज्यों के मंत्रिसमूह (GoM) के साथ बैठक की। बैठक के दौरान राज्यों के मंत्रिसमूह को जीएसटी व्यवस्था में व्यापक सुधारों के लिए सरकार की योजनाओं के बारे में बताया गया। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को जीएसटी सुधारों पर राज्यों के मंत्रिसमूह (GoM) के साथ बैठक की। बैठक के दौरान राज्यों के मंत्रिसमूह को जीएसटी व्यवस्था में व्यापक सुधारों के लिए सरकार की योजनाओं के बारे में बताया गया। इन सुधारों में कर की दरों में कटौती और व्यवसायों के लिए अनुपालन बोझ को कम करना शामिल है।

बीमा कराधान और क्षतिपूर्ति उपकर पर गठित मंत्री समूह दो दिनों तक केंद्र के ‘अगली पीढ़ी’ के जीएसटी सुधारों पर विचार-विमर्श करेगा। इसके तहत 5 और 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाएगा। 5-7 वस्तुओं पर, जिनमें हानिकारक वस्तुएं भी शामिल हैं को 40 प्रतिशत की विशेष दर के तहत लाने का प्रस्ताव किया गया है।

केंद्र आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ आम सहमति बनाएगा: सीतारमण

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम है और केंद्र सरकार आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ आम सहमति बनाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि जीएसटी सुधारों पर केंद्र का प्रस्ताव तीन स्तंभों पर आधारित है- संरचनात्मक सुधार, दरों को युक्तिसंगत बनाना और जीवन में आसानी।

दरों को युक्तिसंगत बनाने, बीमा कराधान और क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह के साथ बैठक के दौरान, सीतारमण ने “इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार का प्रस्ताव भारत की आत्मनिर्भर भारत बनने की यात्रा में जीएसटी सुधारों की अगली पीढ़ी की शुरुआत करने के लिए है।”वित्त मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “केंद्र सरकार सहकारी संघवाद की भावना में जीएसटी सुधारों की अगली पीढ़ी को लागू करने के लिए आने वाले हफ्तों में राज्यों के साथ व्यापक-आधारित आम सहमति बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।” 

वर्तमान में जीएसटी की दरों के लिए हैं चार स्लैब

वर्तमान में जीएसटी 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से लगाया जाता है। खाद्य और आवश्यक वस्तुओं पर शून्य या 5 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जबकि विलासिता और अवगुण वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जिसके ऊपर उपकर भी लगता है।

एक सूत्र ने बताया कि वित्त मंत्री ने मंत्रियों के समूह को लगभग 20 मिनट तक संबोधित किया और इस दौरान उन्होंने केंद्र के प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की। सूत्र ने बताया कि उन्होंने राज्यों को जीएसटी सुधारों की आवश्यकता के बारे में समझाया।

क्षतिपूर्ति उपकर पर मंत्रियों के समूह (जीओएम) का गठन ऋण चुकौती अवधि के बाद क्षतिपूर्ति उपकर के भविष्य पर निर्णय लेने के लिए किया गया था। इसके अलावा, बीमा पर मंत्रियों का समूह स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर कर की दरें कम करने पर विचार-विमर्श किया गया।

दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए गठित मंत्रिसमूह को स्लैब और दरों में बदलाव के सुझाव देने और कुछ क्षेत्रों के सामने आने वाली शुल्क-उलटाव की समस्या को दूर करने का काम सौंपा गया था। जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने पर गठित मंत्रिसमूह की 21 अगस्त को फिर से बैठक होने वाली है।

एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे सालाना लगभग 85,000 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान हो सकता है। चालू वित्त वर्ष में, अगर नई कर दरें 1 अक्टूबर से लागू होती हैं, तो राजस्व का नुकसान 45,000 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

मंत्री समूहों की ओर से अनुमोदित होने के बाद, केंद्र के प्रस्ताव को अगले महीने होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक में रखा जाएगा। इसमें केंद्र और सभी राज्यों के मंत्री शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त के दिन लाल किले से दिवाली तक जीएसटी सुधारों को लागू करने की घोषणा की है।

एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर शुरुआत के समय 14.4 प्रतिशत से घटकर सितंबर 2019 में 11.6 प्रतिशत हो गई। दरों में प्रस्तावित बदलावों के अमल में आने के बाद प्रभावी भारित औसत जीएसटी दर 9.5 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

केंद्र बीमा प्रीमियम को जीएसटी से मुक्त करने के पक्ष में: सम्राट चौधरी

बिहार के उपमुख्यमंत्री और बीमा मंत्री समूह के संयोजक सम्राट चौधरी ने बुधवार को कहा कि केंद्र ने जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने का प्रस्ताव किया है। वर्तमान में स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है।

जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) जीएसटी परिषद को अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट में कुछ राज्यों के वित्त मंत्रियों द्वारा व्यक्त किए गए विचार और चिंताएँ भी शामिल होंगी।

मंत्री समूह की बैठक के बाद चौधरी ने संवाददाताओं से कहा, “केंद्र का प्रस्ताव स्पष्ट है कि बीमा क्षेत्र की व्यक्तिगत और पारिवारिक (पॉलिसियों) को जीएसटी से छूट दी जानी चाहिए। इस पर चर्चा हो चुकी है और मंत्री समूह की रिपोर्ट परिषद के सामने रखी जाएगी।”

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