डॉक्टरों ने बिना ईसीजी किए ही घोषित किया मृत
रिम्स के पीआरओ डॉ राजीव रंजन का कहना है कि इलाज करने वाले डॉक्टर ने मरीज को देखकर मौखिक रूप से मृत होने की सूचना दे दी थी। लेकिन ईसीजी जांच करने के बाद शाम को मृत होने की घोषणा की गई। तब बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया। पर, परिजनों ने इस दौरान कई लापरवाहियां उजागर की हैं और इसे ही मौत का कारण बताया। परिजनों ने बताया कि पहली बार मृत घोषित के बाद भी 7.25 घंटे मरीज बेड पर रहीं। इस दौरान न तो जांच हुई और न ही दवाइयां चलीं। रेजीडेंट डॉक्टरों ने कहा था कि ईसीजी और इको करेंगे, पर क्यों नहीं की?
परिजनों ने इलाज में लापरवाही का लगाया आरोप
परिजनों ने लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि महिला को बेहतर इलाज नहीं मिला। पहली बार मृत घोषित किए जाने के बाद इलाज की जगह गलतियां छुपाने में लगे रहे। पहली बार मृत घोषित करने के बाद बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया। दूसरी बार मृत घोषित किए जाने के बाद भी बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया। पुराने सर्टिफिकेट में ही डेट बदल दिया गया। पहली बार मौत की घोषणा होने पर सुबह 915 बजे बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट जारी किया गया। फिर 725 घंटे बाद दूसरी बार जब मृत बताया तो फिर सर्टिफिकेट में समय बदलकर परिजनों को थमा दिया।
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