बलरामपुर पुलिस ने एक बड़ी अंतर-राज्यीय साइबर ठगी का खुलासा किया है। दो शातिर अपराधी गिरफ्तार किए गए हैं और उनके कब्जे से ₹50 करोड़ से अधिक की क्रिप्टोकरेंसी बरामद की गई है।
VO:
बलरामपुर पुलिस ने एक अंतर-राज्यीय संगठित साइबर फ्रॉड गिरोह का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया कि यह गिरोह चीनी लोनिंग ऐप्स के जरिए आम लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करता था। पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने ठगी की गई राशि को क्रिप्टोकरेंसी (USDT) में बदलकर विदेशों में स्थानांतरित किया। इस गिरोह के लेन-देन में पाकिस्तान समेत अन्य देशों का भी नाम सामने आया है।
VO 01:
पुलिस ने बताया कि आरोपी गोलू कुमार ने पूछताछ में स्वीकार किया कि वह इस साइबर फ्रॉड गिरोह का सदस्य है। वह घोड़ासहन क्षेत्र में साइबर कैफे और CSC संचालित करता था और ‘बाइनेंस आईडी’ के माध्यम से धोखाधड़ी का पैसा USDT में बदलकर विदेश भेजता था। इसके लिए उसने अपने पिता और अन्य सहयोगियों की मदद भी ली।
गिरोह ने ‘उधार लोन’, ‘रूपी फैक्ट्री’, ‘क्विक लोन’ और ‘क्रेडिट बी’ जैसे गैरकानूनी चीनी लोनिंग ऐप्स का इस्तेमाल किया। इन ऐप्स पर उपयोगकर्ताओं को अपनी व्यक्तिगत जानकारी जैसे आधार, पैन, बैंक अकाउंट और सेल्फी अपलोड करनी पड़ती थी। इसके बाद रिकवरी एजेंट फोन पर धमकियां देकर म्यूल अकाउंट में पैसे जमा करवाते थे। जमा राशि को एटीएम और CDM के माध्यम से क्रिप्टो एक्सचेंज प्लेटफ़ॉर्म ‘बाइनेंस’ के जरिए विदेश भेजा जाता था।
पुलिस ने बताया कि अब तक कुल 56,60,311.94 USDT, यानी लगभग ₹50.67 करोड़ की धोखाधड़ी हुई है।
VO 02:
पुलिस अधीक्षक विकास कुमार ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों गोलू कुमार और भूषण चौधरी के पास से 1 लैपटॉप, 5 मोबाइल फोन, 7 आधार कार्ड, ₹2650 भारतीय और ₹100 नेपाली मुद्रा बरामद की गई।
पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ वैधानिक कार्रवाई करते हुए उन्हें न्यायालय में पेश किया। पुलिस ने जनता से अपील की है कि किसी भी लोनिंग ऐप या संदिग्ध वित्तीय लेन-देन में सावधानी बरतें और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से बचें।
एंकर (समापन):
बलरामपुर पुलिस की इस कार्रवाई से साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ी चेतावनी मिली है। यह मामला यह दिखाता है कि तकनीक का गलत इस्तेमाल आम लोगों को भारी आर्थिक नुकसान पहुँचा सकता है, और पुलिस लगातार ऐसे अपराधों पर सख्ती से नज़र रख रही है।
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