बलरामपुर। स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने के लाख दावे किए जाते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अक्सर इन दावों की पोल खोल देती है। बलरामपुर जिले के पचपेड़वा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) से लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने लोगों को हैरत में डाल दिया।
इमरजेंसी वार्ड में नहीं मिला स्टाफ, मरीज परेशान
शुक्रवार सुबह जांच के दौरान अस्पताल का इमरजेंसी वार्ड पूरी तरह खाली मिला। जहां मरीजों को तुरंत इलाज मिलना चाहिए, वहां न डॉक्टर थे और न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी मौजूद। यही नहीं, मरीजों की जगह इमरजेंसी वार्ड में एक आवारा कुत्ता बेधड़क दौड़ता नजर आया, जिससे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती है।
महिला वार्ड की हालत बदतर
महिला वार्ड की स्थिति और भी दयनीय बताई जा रही है। मरीजों और उनके परिजनों का आरोप है कि सुबह 10 बजे के बाद से किसी भी डॉक्टर ने वार्ड का हालचाल तक नहीं लिया। वहीं प्रसूता महिलाओं ने शिकायत की कि उन्हें दूध, फल और अन्य जरूरी पोषण सामग्री तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही। इससे प्रसूताओं और नवजातों की सेहत पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है।
अधिकारी बने अनजान, फोन पर नहीं मिला जवाब
जब इस मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) और चिकित्सा अधीक्षक (CMS) से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनके फोन लगातार व्यस्त मिले। अधिकारियों की चुप्पी और अस्पताल की बदहाल तस्वीर ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
स्थानीय लोगों का कहना है कि पचपेड़वा CHC की ऐसी लापरवाही कोई पहली बार नहीं हुई है। ग्रामीणों ने बताया कि स्टाफ की मनमानी, डॉक्टरों की लापरवाही और सुविधाओं की कमी अब आम बात हो गई है। लोग चेतावनी दे रहे हैं कि अगर हालात जल्द नहीं सुधरे तो किसी भी दिन किसी बड़ी अनहोनी से इनकार नहीं किया जा सकता।
सवालों के घेरे में स्वास्थ्य विभाग
यह पूरा मामला स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर सवाल खड़े करता है। सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के दावे करे, लेकिन अगर जमीनी स्तर पर हालात ऐसे ही रहे तो आम लोगों की जान के साथ खिलवाड़ जारी रहेगा।
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