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नीतू की आलीशान कोठी बनाने वाला ठेकेदार भी मुश्किल में… बब्बू चौधरी ने 12 करोड़ खर्च होने का किया था दावा

छांगुर ने मधपुर में सात बीघे जमीन खरीदी थी, जिसमें एक तरफ नीतू के नाम पर भी जमीन थी। आलीशान कोठी बनाने के लिए उतरौला कस्बे में अपना घर कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर बब्बू चौधरी उर्फ वसीउद्दीन को जिम्मेदारी सौंपी थी। एटीएस को बब्बू चौधरी ने बयान भी दर्ज कराया कि उसका रुपया छांगुर ने हजम कर लिया है। इसी के साथ बब्बू भी जांच के दायरे में है। पूरे प्रदेश में अवैध धर्मांतरण की जड़ जमाने के लिए छांगुर ने मधपुर में ठिकाना बनाया था। करीब सात बीघे जमीन खरीदी थी, जिसमें एक तरफ नीतू के नाम पर भी जमीन थी। छांगुर ने पूरे परिसर को दो भागों में बांटा था। आलीशान कोठी बनाने के लिए उतरौला कस्बे में अपना घर कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर बब्बू चौधरी उर्फ वसीउद्दीन को जिम्मेदारी सौंपी थी।

एटीएस की रिपोर्ट में कोठी के निर्माण में बब्बू चौधरी ने 12 करोड़ रुपये खर्च की जानकारी दी है। इसमें से पांच 5.70 करोड़ रुपये का भुगतान छांगुर के कहने पर हुआ। नीतू और नवीन ही निर्माण का पूरा खर्च उठा रहे थे। बाकी के 6.30 करोड़ रुपये मांगने पर विवाद हो गया। इसके बाद एटीएस को बब्बू चौधरी ने बयान भी दर्ज कराया कि उसका रुपया छांगुर ने हजम कर लिया है। इसी के साथ बब्बू चौधरी भी जांच के दायरे में है।आय और व्यय की पड़ताल करने वाली एजेंसियों की नजर छांगुर से सौदेबाजी पर भी है। बताया जा रहा है कि निर्माण का सौदा कितने का हुआ और भुगतान कैसे लिया गया। यह भुगतान भी अवैध धर्मांतरण कराने वाले गिरोह से लिया गया है। इससे जांच में अब बब्बू चौधरी की मुश्किलें बढ़नी तय मानी जा रही हैं।

 

छांगुर के ट्रस्ट में शामिल रहा है मोहम्मद अहमद
छांगुर ने एक ट्रस्ट बनाया था, जिसका वह खुद संरक्षक था। नवीन को उसने ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया था। इसके साथ ही उतरौला निवासी मोहम्मद अहमद भी ट्रस्ट में शामिल था। तीन ही लोगों को मिलाकर वर्ष 2023 में ट्रस्ट का पंजीकरण हुआ था। इससे भी मोहम्मद अहमद की छांगुर से करीबी होने के संकेत मिल रहे हैं। पुणे के सौदे में भी मोहम्मद अहमद का नाम चर्चा में है। अब भले ही मोहम्मद अहमद छांगुर से विवाद होने का दावा कर रहा है, लेकिन छांगुर के अच्छे दिनों में वह उसके साथ ही था।

 

समय देखकर लोग अब काट रहे कन्नी
छांगुर ने मकान बनाने वाले बब्बू चौधरी को तो मुकदमों में फंसाया। इसके सबूत भी हैं, लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो छांगुर के बेहद करीब थे, जो अब हालात देखकर उससे कन्नी काट रहे हैं। इसमें कई स्थानीय लोग भी शामिल हैं। फिलहाल जांच एजेंसियां दबे पांव सभी की खबर लेने में जुटी हैं। देर सबेर कुछ और लोगों पर भी शिकंजा कस सकता है

 

सबरोज और शहाबुद्दीन ने भी छांगुर के सहयोग से जुटाई संपत्ति
छांगुर के भतीजे सबरोज और साले के बेटे शहाबुद्दीन ने भी कई संपत्तियां जुटाई थीं। राजस्व टीम की जांच में सरकारी जमीनों पर कब्जे का मामला सामने आ चुका है। एसडीएम ने बताया कि टीम ने रेहरामाफी गांव में जांच की है। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। छांगुर ने अवैध धर्मांतरण से कमाई शुरू की। विदेश से फंड मिलने लगा। तब उसके सबसे खास रहे सबरोज और शाहबुद्दीन ने रशीद के साथ मिलकर आजमगढ़ में अवैध धर्मांतरण शुरू कराया। इससे मोटी कमाई की और रेहरामाफी में सरकारी जमीनों पर निगाहें जमा दीं।

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