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कन्नौज में पीडीए पाठशाला को लेकर सियासी संग्राम तेज, सपा कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग और समाजवादी पार्टी के बीच पीडीए पाठशाला को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में एक आदेश जारी किया गया था, जिसके तहत 50 से कम बच्चों वाले सरकारी स्कूलों को अन्य स्कूलों में मर्ज करने का निर्णय लिया गया। इस फैसले को लेकर समाजवादी पार्टी ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया और प्रदेश के कई जिलों में अपने कार्यकर्ताओं के माध्यम से “पीडीए पाठशाला” चलाने की घोषणा की।

इसी क्रम में अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र कन्नौज में भी समाजवादी पार्टी की नेत्री शशिमा सिंह ने पीडीए पाठशाला की शुरुआत की थी। लेकिन अब इस पहल पर विवाद गहराता जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई करते हुए खंड शिक्षा अधिकारी ने सपा नेत्री शशिमा सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। आरोप लगाया गया है कि शशिमा सिंह और उनके साथियों ने बेसिक शिक्षा विभाग की छवि धूमिल करने का प्रयास किया है।

सियासी टकराव हुआ तेज

अखिलेश यादव के संसदीय क्षेत्र में सपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते ही यह मामला और भी गरमा गया है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक इस कार्रवाई की सूचना पहुँच चुकी है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भी इस मुकदमे की जानकारी दे दी गई है, जिसके बाद सपा नेताओं ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है।

सपा की चेतावनी, आंदोलन की तैयारी

इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा नेत्री शशिमा सिंह ने साफ कहा कि “हम लोग पीडीए पाठशाला को आगे भी चलाते रहेंगे, बच्चों की पढ़ाई रुकेगी नहीं।” वहीं, सपा के अन्य नेताओं ने सरकार को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि “अगर इस तरह के फर्जी मुकदमे वापस नहीं लिए गए, तो पार्टी बड़े स्तर पर आंदोलन करेगी।”

पृष्ठभूमि: क्यों शुरू हुई पीडीए पाठशाला?

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा स्कूलों के मर्जर का आदेश जारी होने के बाद, ग्रामीण इलाकों में बच्चों की शिक्षा प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया। इसी को लेकर समाजवादी पार्टी ने “पढ़ाई, दबाव और अधिकार” (पीडीए) नाम से वैकल्पिक पाठशाला शुरू करने का अभियान छेड़ा, ताकि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे।

लेकिन अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या सपा का यह कदम सिर्फ बच्चों की पढ़ाई के लिए है या फिर इसके पीछे राजनीतिक मकसद भी छुपा है? भाजपा सरकार और बेसिक शिक्षा विभाग इसे साफ तौर पर राजनीतिक स्टंट बता रहे हैं, जबकि सपा इसे जनहित का कदम कह रही है।

आगे क्या?

इस मामले के राजनीतिक रंग लेने के बाद कन्नौज से लेकर लखनऊ तक सियासत तेज हो गई है। एक तरफ सपा इस मुद्दे पर आंदोलन की चेतावनी दे रही है, तो दूसरी ओर सरकार और शिक्षा विभाग इसे कानूनी उल्लंघन करार दे रहे हैं। आने वाले दिनों में यह विवाद और गहराने की संभावना है।

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