आईयूएमएल का दावा है कि सीएए कानून के प्रावधान मनमाने हैं और सिर्फ धार्मिक पहचान के आधार पर एक वर्ग को अनुचित लाभ देते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। आईयूएमएल ने कहा है कि अगर कानून के मुताबिक किसी को नागरिकता दे दी गई तो फिर इसे वापस नहीं लिया जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सीएए के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सीएए कानून पर रोक की मांग को लेकर याचिका दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को आईयूएमएल की याचिका पर सुनवाई करेगा। आईयूएमएल ने याचिका में कहा है कि सीएए कानून असंवैधानिक और मुसलमानों के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। आईयूएमएल का दावा है कि सीएए कानून के प्रावधान मनमाने हैं और सिर्फ धार्मिक पहचान के आधार पर एक वर्ग को अनुचित लाभ देते हैं, जो संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है। आईयूएमएल ने कहा है कि अगर कानून के मुताबिक किसी को नागरिकता दे दी गई तो फिर इसे वापस नहीं लिया जा सकेगा। ऐसे में आईयूएमएल ने याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।
ईवीएम के खिलाफ दायर याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम में कथित गड़बड़ी का दावा करने वाली याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को याचिका खारिज करते हुए कहा कि हर मैथ्ड के अपने फायदे और अपने नुकसान होते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने कहा कि अदालत पहले भी ईवीएम के काम से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर चुका है और कितनी याचिकाओं पर और सुनवाई करनी पड़ेगी? हाल ही में हमने वीवीपैट से संबंधित याचिका पर सुनवाई की थी। हम सिर्फ अनुमान के आधार पर काम नहीं कर सकते। हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते और इसे खारिज करते हैं।
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