श्रावस्ती। बड़ी खबर श्रावस्ती जिले से है, जहां राप्ती नदी का कटान इस समय किसानों और ग्रामीणों के लिए आफ़त बन गया है। इकौना तहसील के लैबुड़वा और आसपास के गांवों में नदी लगातार अपनी धारा बदल रही है। उपजाऊ खेत तो पहले ही पानी में समा चुके थे और अब खतरा गांव की बस्तियों पर मंडराने लगा है।
भारी बारिश के बाद बढ़ा संकट
जानकारी के मुताबिक, हाल ही में पहाड़ी इलाकों में हुई भारी बारिश के चलते राप्ती नदी का जलस्तर अचानक बढ़कर खतरे के निशान से करीब 30 सेंटीमीटर ऊपर चला गया था। हालांकि पानी अब घट रहा है, लेकिन जलस्तर कम होते ही नदी ने जगह-जगह कटान शुरू कर दिया। तेज धारा के चलते खेतों और मकानों की नींव खिसक रही है।
तीन दिन में दर्जनभर किसानों की ज़मीन नदी में समाई
सबसे ज़्यादा असर पुरुषोत्तमपुर गांव में देखने को मिला है। यहां सिर्फ तीन दिनों के भीतर दर्जनभर किसानों की ज़मीन नदी की धारा में समा चुकी है। कई किसानों के खड़ी फसलें, पेड़ और मेड़ तक नदी में बह गए। किसानों का कहना है कि उनकी वर्षों की मेहनत और जीवन भर की पूंजी इस आपदा में डूब गई है।
ग्रामीणों की पीड़ा और सरकार से उम्मीदें
कटान से प्रभावित ग्रामीण अब प्रशासन और सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं और यदि जल्द ही रोकथाम के उपाय नहीं किए गए तो दर्जनों परिवार उजड़ जाएंगे। ग्रामीण सरकार से मुआवज़े और सुरक्षित पुनर्वास की मांग कर रहे हैं।
सांसद ने किया दौरा, दिलाया भरोसा
इसी बीच समाजवादी पार्टी के सांसद राम सिरोमणी वर्मा भी इकौना पहुंचे और उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। सांसद ने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया कि उनकी आवाज़ सरकार तक पहुँचाई जाएगी और वे मुआवज़े के साथ-साथ पुनर्वास की दिशा में भी पहल करेंगे। सांसद ने कटान प्रभावित इलाकों का जायज़ा लिया और प्रशासन से ठोस कदम उठाने की अपील की।
अभी भी जारी है कटान
फिलहाल राप्ती नदी का कटान थमने का नाम नहीं ले रहा है। ग्रामीण अपनी आंखों के सामने खेतों और मकानों को बहते हुए देखने को मजबूर हैं। हालात ऐसे हैं कि लोगों को अपना भविष्य अंधकारमय नज़र आ रहा है। स्थानीय लोग अब सिर्फ सरकार की मदद पर ही उम्मीद लगाए बैठे हैं।
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