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चारधाम यात्रा से जुड़ी सभी आशंकाओं को उत्तराखंड सरकार ने किया खारिज, पढ़े पूरी ख़बर

जोशीमठ  में भू-धंसाव  की वजह से आगामी चारधाम यात्रा को लेकर जताई जा रही सभी आशंकाओं को उत्तराखंड सरकार ने खारिज किया है। सोमवार को आपदा प्रबंधन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि चारधाम यात्रा हर हाल होगी। इसके प्रभावित होने की बातें काल्पनिक हैं। उन्होंने कहा कि सरकार बदरीनाथ धाम जाने के लिए समय रहते वर्तमान मार्ग को दुरुस्त कराएगी, जिससे श्रद्धालु सुगम तरीके से बदरीनाथ जा सकें। इसके साथ ही हेलंग-मारवाड़ी बाईपास के निर्माण की प्रक्रिया को भी जल्द शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है। बीआरओ ने भी इसे लेकर रुड़की आईआईटी से भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का अनुरोध किया है।
सचिव ने बताया कि बाईपास को लेकर बीआरओ के मुख्य अभियंता से बात हो चुकी है। मंगलवार को बीआरओ संग दोबारा बैठक होगी। उन्होंने यह भी कहा कि परंपरागत यात्रा मार्ग पर भी कुछ जगह दरारें आई थीं। लेकिन, अब यह सिलसिला थम चुका है। दरारें चौड़ी होने की जानकारी भी फिलहाल सामने नहीं आई है। वैज्ञानिकों की रिपोर्ट का इंतजार है। उन्होंने यात्रियों की सुरक्षा को लेकर कहा कि सरकार चारधाम यात्रा के लिए तैयार है। यात्रियों की धाम तक सुरक्षित आवाजाही की जिम्मेदारी पूरी तरह जिला प्रशासन निभाएगा। सरकार बदरीनाथ के लिए प्रस्तावित बाईपास का निर्माण शुरू कराने के तो पक्ष में है, लेकिन इसका पूरा लाभ मिलने में संशय भी जताया जा रहा है। दरअसल, बीआरओ ने करीब छह किमी लंबे इस मार्ग को पूरा करने के लिए ढाई साल का वक्त तय किया है। कुछ ही महीने पहले बीआरओ ने इस पर काम शुरू किया था। यदि दोबारा काम शुरू करने की अनुमति मिलती है तो भी समय लगना तय है। वैज्ञानिकों के रोजाना इनपुट से बन रही रिपोर्ट वैज्ञानिक संस्थानों की रिपोर्ट को लेकर डे-बाई-डे इनपुट देहरादून स्थित सचिवालय में आपदा प्रबंधन विभाग को भेजा जा रहा है। यहां रोजाना वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बाद फोन पर ही वैज्ञानिकों से इनपुट लिया जा रहा है। सरकार इस बात का इंतजार नहीं करना चाहती कि सभी वैज्ञानिक जब वापस लौटेंगे तभी रिपोर्ट तैयार होगी। जोशीमठ में भू-तकनीकी संस्थानों की इस समय सबसे अहम भूमिका है। यही टीम तय करेगी कि जमीन खिसकने से रोकने के लिए क्या-क्या किया जा सकता है। कौन-कौन से घर बचाए जा सकते हैं। कहां पर किस तरह से रेट्रोफिटिंग की जरूरत पड़ेगी।  

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